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वेद हमारी संस्कृति, समाज और सभ्यता की महानता का अनुपम उदाहरण हैं. इनमें सम्पूर्ण ज्ञान समाहित है. यह अपार ज्ञान यूँ ही नहीं प्राप्त हो गया था बल्कि हमारे ऋषि मुनियों ने कई शताब्दियों में इस ज्ञान को एकत्रित किया था. परन्तु हमारा दुर्भाग्य है कि हम लोग इस ज्ञान से बहुत कम परिचित है या इसके बारे में शून्य के बराबर जानते हैं. इसकी वजह एक तो हजारों साल की गुलामी है तो दूसरी अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था जिसने हमारी पारम्परिक शिक्षा व्यवस्था को ना सिर्फ आघात पहुँचाया वरन उसके बारे में दुष्प्रचार भी फैलाया. गुलामी की ज़ंजीरों में बंधे हुए हम लोग भी हर पाश्चात्य चीज को ही अच्छा मानने लगे क्योंकि खुद का विश्वास डगमगाया हुआ था.
वेदों के बारे में यह दुष्प्रचार कि यह सिर्फ ऊँची जाति वालों के लिए है एकदम गलत है. अगर ऐसा होता तो वाल्मिकी रामायण और वेद व्यास महाभारत और पुराणों की रचना कभी नहीं कर पाते। सनातन धर्म में कर्म ही सर्वोपरि था और कर्म का बंटवारा बुद्धिमत्ता और चारित्रिक बल से होता था. हर कोई वेद पढ़ सके ऐसा नहीं हो सकता था अतः इसे क्रमिक रूप से सरलीकृत करके उपनिषद् और भाष्य लिखे गए. जो लोग इसे भी समझ नहीं सकते थे उनके लिए पुराणों और कहानियों की रचना की गई.
यदि हम अपने पूर्वजों की इस कालजयी धरोहर को अभी भी नहीं सम्हाल पाए तो यह विलुप्त हो जाएगी. वेदों में निहित हमारे इतिहास और ज्ञान को लिखित रूप की बजाय मौखिक रूप से श्रुति और स्मृतियों के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी संजोया जाता था क्योंकि कागज और छापाखाने आधुनिक अविष्कार हैं और आप जानते हैं कि कैसे विजेता अपने हिसाब से इतिहास का लेखन कराते हैं. अतः जरुरत है अपने खोये हुए विश्वास को पाने की और अपनी प्राचीन धरोहरों को संजोने और उनसे सीख लेने की.
वेदश्री इसी कड़ी में हमारा एक छोटा सा प्रयास है. यहाँ आप सनातन धर्म, ज्योतिष, व्रत, त्यौहार, पूजा विधि के साथ-साथ अन्य कई तथ्यपरक और जरूरी जानकारियां हाँसिल कर सकते हैं. आशा है आप लोग इसे पसंद करेंगे और ज्ञान लाभ लेंगे तथा अपने विचारों से हम लोगों को अवगत कराएँगे. साथ ही किसी तरह के अनुष्ठान या ज्योतिषीय परामर्श के लिए हमें ई-मेल द्वारा vedshriofficial@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं.