Basant Panchami 2021: जानें कब है बसंत पंचमी, इसकी पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त और इस दिन के विशेष संयोग

Published by Ved Shri Published: February 14, 2021

शास्त्रानुसार माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाये जाने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन संगीत और सुर की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का प्राकट्य हुआ था और इसलिए विद्यार्थियों, संगीत, कला, साहित्य से जुड़े लोगों के लिए यह बहुत महत्व रखता है। इसी दिन से ही बसंत ऋतु का आरंभ भी माना गया है अतः लोग रति और कामदेव की पूजा कर अपने गार्हस्थ्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रार्थना करते हैं। बसंत पंचमी की पूजा में पीले रंगों का उपयोग बहुत अच्छा माना गया है क्योंकि यह सुख, शांति, एकाग्रता और बौद्धिक उन्नति का प्रतीक है और नकारात्मकता दूर करता है। कोई भी शुभ कार्य या विद्यारंभ के लिए बसंत पंचमी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस वर्ष बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021) का पर्व मंगलवार, 16 फरवरी को मनाया जायेगा। आइये जानते हैं इसकी पूजा विधि, कथा, शुभ मुहूर्त और इस दिन बन रहे विशेष संयोग के बारे में।

बसंत पंचमी पूजा विधि
बसंत पंचमी जिसे श्री पंचमी और सरस्वती पूजा भी कहते हैं के दिन प्रातः स्नान कर नवीन वस्त्र (पीले वस्त्र हों तो अच्छा) धारण करें। तदुपरांत वेदी पर वस्त्र बिछाकर अक्षतों का अष्टदल कमल बनायें। अग्र भाग में गणेश और सरस्वती की प्रतिमा या फोटो रखें और पृष्ठ भाग में जलयुक्त कलश में जौ और गेंहू की बाली का पुंज स्थापित करें। फिर गणेश जी और माँ सरस्वती का पूरे विधि-विधान से आह्वान व पूजन कर माँ सरस्वती से अपने अभीष्ट सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। पूजा में पीले फूल, फल, अबीर, मिठाई आदि का उपयोग करना उत्तम होगा। बसंत पंचमी के दिन आम की मञ्जरी (बौर) खाने को बहुत ही शुभ माना जाता है।

बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए कराएं सरस्वती पूजा

बसंत पचंमी कथा
शास्त्रों के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की और सारे चर और अचर जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों को बनाया तो उन्हें कुछ कमी महसूस हुई। इतनी सुंदर रचना में भी उन्हें संसार में रस नजर नहीं आ रहा था और इसी कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने जब अपने कमंडल से जल छिड़का तो चार हांथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई जिसके एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथे हाँथ में वर मुद्रा धारण किया हुआ था। उस देवी ने जब अपनी जब वीणा बजाई तो संसार की हर चीज में स्वर समाहित हो गया और इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह बसंत पंचमी का दिन था और तब से हर लोक में माँ सरस्वती की पूजा होने लगी।

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त और विशेष संयोग
पंचमी तिथि की शुरुआत 16 फरवरी की सुबह 03 बजकर 37 मिनट पर हो रही है जो अगले दिन 17 फरवरी को सुबह 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। अतः 16 फरवरी को पूरे दिन पंचमी होने की वजह से पूजा कभी भी कर सकते हैं पर दिन में 11:15 से 12:35 के बीच अच्छा मुहूर्त है। इस बार बसंत पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग जैसे तीन-तीन शुभ योग होने से विशेष संयोग बन रहा है जिससे इस दिन का महत्व और बढ़ गया है।

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