जब एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या के बीच सूर्य की संक्रांति नहीं होती है तो उस चंद्रमास की पुनरावृत्ति होती है जिसे अधिकमास या मलमास के नाम से जाना जाता है। इस निन्दित मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम देकर इसे पुरुषोत्तम मास बना दिया। जिस किसी भी वर्ष मलमास होता है उस वर्ष 2 एकादशी ज्यादा होती हैं। ये विशेष एकादशी तिथियाँ तीन वर्ष के अंतराल पर आती हैं। इन्हें पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहा जाता है। पुरुषोत्तम मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को परमा एकादशी कहते हैं। इस वर्ष यह शुभ तिथि शनिवार 12 अगस्त 2023 को पड़ रही है। आइये जानते हैं परमा एकादशी (Parama Ekadashi 2023) का माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा।
परमा एकादशी माहात्म्य
परमा एकादशी पुरुषोत्तम श्रीहरि की कृपा प्राप्ति का विशेष अवसर है। इस व्रत के प्रभाव से जातक के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे इहलोक में सुख एवं परलोक में सद्गति प्राप्त होती है। फलश्रुति के अनुसार माना जाता है कि राजा हरिश्चन्द्र को इसी व्रत के प्रभाव से स्त्री, संतान और राज्य की प्राप्ति हुई थी और कुबेर को धन के स्वामी का पद प्राप्त हुआ था।
परमा एकादशी पूजा विधि
परमा एकादशी के दिन व्रती को प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हो एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। तत्पश्चात पूरी निष्ठा एवं भक्ति से पुरुषोत्तम श्रीहरि की वैदिक विधि-विधान से षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। इस दौरान हो सके तो विष्णु सहस्रनाम अथवा गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करना चाहिए। रात्रि के समय भगवान विष्णु की पूजा एवं शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। फिर भगवन्नाम संकीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करके अगले दिन द्वादशी को पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन करा और दक्षिणा देकर स्वयं पारण करना चाहिए।
परमा एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – परमा एकादशी शनिवार, 12 अगस्त 2023 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – शुक्रवार, 11 अगस्त 2023 को प्रातः 05 बजकर 06 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – शनिवार, 12 अगस्त 2023 को प्रातः 06 बजकर 31 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – रविवार, 13 अगस्त 2023 को सूर्योदय से सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक
परमा एकादशी कथा
परमा एकादशी व्रत की कथा के अनुसार काम्पिल्य नगर में सुमेधा नामक एक धर्मात्मा पर अत्यंत गरीब ब्राह्मण अपनी पतिव्रता पत्नी के साथ रहता था। एक बार कौण्डिन्य ऋषि उनके यहाँ पधारे तो ब्राह्मण दंपत्ति ने उनका उचित सत्कार किया और दरिद्रता नाश के लिए उनसे उपाय पूँछा। तब ऋषि ने उन्हें परमा एकादशी व्रत के माहात्म्य और उसकी विधि बताई। फिर ब्राह्मण दंपत्ति ने कौण्डिन्य ऋषि के बताये अनुसार विधिपूर्वक मलमास कृष्ण पक्ष एकादशी को परमा एकादशी का व्रत किया। जिसके प्रभाव से उनकी दरिद्रता दूर हो गई और वे सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर अंत में भगवान के परमधाम में सद्गति प्राप्त किये।