जिस मास में सूर्य का किसी राशि में संक्रमण ना हो उसे अधिकमास के नाम से जाना जाता है। इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। हर तीसरे वर्ष यह मलमास आता है और जिस वर्ष अधिकमास आता है उस वर्ष 24 की जगह 26 एकादशी तिथियाँ पड़ती हैं। पुरुषोत्तम मास में व्रत और पूजा का विशेष माहात्म्य है अतः पुरुषोत्तम मास की एकादशी को कदापि सामान्य नही माना जा सकता। इस वर्ष पुरुषोत्तम मास श्रावण मास में होकर भगवान हरिहर की पूजा के लिए विशेष अवसर दे रहा है। अधिकमास शुक्ल पक्ष एकादशी को कमला एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह पद्मिनी एवं पुरुषोत्तमी एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस वर्ष यह शुभ तिथि शनिवार 29 जुलाई 2023 को पड़ रही है। आइये जानते हैं कमला एकादशी (Kamla Ekadashi 2023) का माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा।
कमला एकादशी माहात्म्य
कमला एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति का विशेष अवसर है। इस व्रत से भुक्ति और मुक्ति दोनों प्राप्त होती हैं। इसके फल से पापों का नाश और उत्तम संतान एवं सुख की प्राप्ति होती है तथा गोलोक धाम में परमपद की प्राप्ति होती है।
कमला एकादशी पूजा विधि
कमला एकादशी के दिन व्रती को प्रातः स्नानादि से निवृत्त हो एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। तदुपरांत सच्ची श्रद्धा और भक्ति से श्रीहरि विष्णु की पूरे विधि-विधान से षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए और हो सके तो विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। रात्रि में भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करनी चाहिए। भगवद्भजन करते हुए रात्रि जागरण कर अगले दिन द्वादशी को पूजनोपरांत पारण करना चाहिए।
कमला एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – कमला एकादशी शनिवार, 29 जुलाई 2023 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – शुक्रवार, 28 जुलाई 2023 को दोपहर 02 बजकर 51 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – शनिवार, 29 जुलाई 2023 को दोपहर 01 बजकर 05 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – रविवार, 30 जुलाई 2023 को सूर्योदय से सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक
कमला एकादशी कथा
कमला एकादशी व्रत की कथा महर्षि पुलस्त्य ने नारद मुनि को सुनाई थी जिसके अनुसार त्रेतायुग में महिष्मती नगरी में एक राजा रहते थे। उनकी सौ रानियाों से भी कोई योग्य पुत्र नहीं हुआ तो वो दुखी रहने लगे। इसके निवारण के लिए उन्होंने कठिन तप किया जिससे उनका शरीर सिर्फ हड्डियों का ढांचा मात्र रह गया। उनकी इस हालत से व्यथित होकर उनकी पत्नी प्रमदा ने देवी अनसूया से उपाय पूँछा तो उन्होंने कमला एकादशी व्रत और उसके विधान के बारे में बताया। तब रानी ने पूरे विधि-विधान से श्रद्धापूर्वक कमला एकादशी का व्रत किया जिसके प्रभाव से भगवान प्रसन्न होकर उन्हें सबसे उत्तम, सबके द्वारा पूजित और स्वयं भगवान के अलावा किसी से ना हारने वाली संतान होने का आशीर्वाद दिया। समय आने पर राजा और रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जो कार्तवीर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसने रावण को बंदी बनाकर अपने बंदीगृह में रखा।