एकादशी व्रत का सनातन धर्म में बहुत ही अधिक महत्व है। कई पुराणों और कथाओं में इसके माहात्म्य और विधि का वर्णन है। नाम से ही पता चलता है की यह व्रत एकादशी तिथियों पर किया जाता है। पालनहार भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय एकादशी एक साल में 24 बार आती है लेकिन हर तीसरे साल जब अधिमास होता है तब 26 एकादशी हो जाती हैं। वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह शुभ तिथि शुक्रवार, 07 मई 2021 को पड़ रही है। आइये आगे जानते हैं वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2021) का क्या है माहात्म्य, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त।
वरुथिनी एकादशी माहात्म्य
वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की अहैतुकी कृपा प्राप्त होती है एवं सब प्रकार के पाप और ताप दूर होते हैं। इस व्रत से व्रती को अनंत शांति मिलती है और उसे स्वर्गादि उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख-समृद्धि और ईश्वर की भक्ति के लिए यह व्रत सर्वोत्तम माना गया है।
वरुथिनी एकादशी पूजा विधि
व्रती को चाहिए की एकादशी से एक दिन पहले अर्थात् दशमी को एक बार भोजन करे। उस दिन मांस मदिरा का सेवन ना करे और अगले दिन एकादशी का उपवास रखे। एकादशी को प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर “मामाखिलपापक्षयपूर्वक श्रीपरमेश्वरप्रीतिकामनया वरुथिनी एकादशीव्रतं करिष्ये” मंत्र से व्रत का संकल्प लेकर पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु का षोडशोपचार पूजन कर एकादशी कथा श्रवण एवं विष्णु सहस्रनाम या गजेंद्र मोक्ष का पाठ करे। फिर रात्रि में भगवन्नाम जाप करते हुए जागरण करे और अगले दिन द्वादशी को पूजनोपरांत पारण करे।
वरुथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – वरुथिनी एकादशी शुक्रवार, 07 मई 2021 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – गुरुवार, 06 मई 2021 को दिन 02 बजकर 11 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – शुक्रवार, 07 मई 2021 को दिन 03 बजकर 32 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – शनिवार, 08 मई 2021 को सूर्योदय से लेकर शाम 05 बजकर 21 मिनट तक