माघ कृष्ण पक्ष एकादशी को षट्तिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की जो कोई भी जातक षट्तिला एकादशी का व्रत रखता है उसे भगवान कृष्ण की कृपा से धन धान्य की प्राप्ति होती है और उसके सभी पापों का नाश होता है। इस वर्ष यह परम पुनीत व्रत बुधवार, 18 जनवरी 2023 (Shattila Ekadashi 2023) को पड़ रहा है। आइये आगे जानते हैं इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा।
षट्तिला एकादशी पूजा विधि
इस दिन प्रातः स्नान करके भगवान कृष्ण का पूजन कर “श्रीकृष्ण” इस मंत्र का कम से कम एक माला (108) जाप करें और “सुब्रह्मण्य नमस्तेऽस्तु महापुरुषपूर्वज। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते।।” मंत्र से अर्घ्य दें। दिनभर उपवास रखें और संभव हो तो रात्रि जागरण करें। माना जाता है की षट्तिला एकादशी के दिन तिल का छह प्रकार से प्रयोग करने (1) तिल के जल से स्नान, (2) पिसे हुए तिल से उबटन, (3) तिल का हवन, (4) तिल मिला जल पीना, (5) तिलों का दान और (6) तिल के भोजन से जातक पापमुक्त हो जाता है और उसे धन धान्य की प्राप्ति होती है।
षट्तिला एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – षटतिला एकादशी बुधवार, 18 जनवरी 2023 को है
एकादशी तिथि का प्रारंभ – मंगलवार, 17 जनवरी 2023 को सायं 06 बजकर 06 मिनट पर
एकादशी तिथि का अंत – बुधवार, 18 जनवरी 2023 को सायं 04 बजकर 03 मिनट पर
पारण का समय – गुरुवार, 19 जनवरी 2023 को सूर्योदय से दोपहर 01 बजकर 18 मिनट तक सुविधानुसार कभी भी पारण कर सकते हैं।
षट्तिला एकादशी कथा
षट्तिला एकादशी दान की महत्ता दर्शाती है। इसकी कथा संक्षेप में कथा इस प्रकार है कि प्राचीन काल में भगवान की एक परम भक्ता स्त्री थी जो पूजा-अर्चना, व्रत-उपवास आदि करती थी पर अपने जीवन में उसने दान के नाम पर किसी को एक दाना भी नहीं दिया था। उस पर कृपा करने के लिए एक दिन स्वयं भगवान कृष्ण ने कापालिक का भेष धारण कर उससे भिक्षा की याचना की लेकिन उसने कुछ नहीं दिया। अंत में ज्यादा आग्रह पर उसने मिट्टी का ढेला दिया तो उससे भी भगवान प्रसन्न हो गए और उसे परमधाम दिया परन्तु वहां मिट्टी के मकानों के शिवा कुछ भी नहीं था तब उसने भगवान की प्रार्थना की और उनकी आज्ञा से षट्तिला एकादशी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उसको धन धान्य और सब सुख प्राप्त हुए।