Rama Ekadashi 2022: जानें कब है रमा एकादशी, क्या है इसका माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा

Published by Ved Shri Published: October 21, 2022

कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पाप क्षय के लिए इस दिन गरुड़ध्वज भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। इस वर्ष यह शुभ तिथि शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022 को पड़ रही है। आइये आगे जानते हैं रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2022) का क्या है माहात्म्य, क्या है इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा।

रमा एकादशी माहात्म्य
रमा एकादशी के बारे में मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का क्षय होता है और जातक को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रमा एकादशी पूजा विधि
रमा एकादशी के दिन व्रत के इच्छुक जातक को चाहिए कि प्रातः स्‍नानादि के उपरांत एकादशी व्रत का संकल्‍प ले। संकल्प के बाद कमलनयन भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन कर रमा एकादशी व्रत की कथा सुने। तत्पश्चात ब्राह्मणों को अन्न और दक्षिणा भेंट कर दिनभर उपवास रखते हुए “ॐ नमो वासुदेवाय” मंत्र का मानसिक जाप करते रहे। रात्रि में भजन-कीर्तन आदि करते हुए जागरण करे और अगले दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत का पारण करे।

रमा एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – रमा एकादशी शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – गुरुवार, 20 अक्टूबर 2022 को सायं 04 बजकर 05 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022 को सायं 05 बजकर 23 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – शनिवार, 22 अक्टूबर 2022 को सूर्योदय से सूर्यास्त तक

रमा एकादशी कथा
रमा एकादशी व्रत की कथा के अनुसार बहुत पहले मुचुकुन्द नाम के एक धर्मात्मा राजा थे जिनकी चन्द्रभागा नामक अत्यंत रूपवती और तपस्विनी कन्या थी। राजा ने अपनी पुत्री का विवाह शोभन नामक राजा से किया। चन्द्रभागा जब ससुराल पहुँची तो देखा की उसका पति शोभन एकादशी आने पर व्रत नहीं करना चाहता तो उसने कहा की राजन यह क्या, हमारे यहाँ मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी तक एकादशी का व्रत करते हैं तो आप क्यों नहीं व्रत करना चाहते। शोभन ने कहा कि मैं भूँख सहन नहीं कर पाउँगा और इससे अवश्य ही मेरी मृत्यु हो जाएगी। परन्तु चन्द्रभागा के कहने पर उसने व्रत किया जिसके प्रभाव से सम्पूर्ण वैभव भोग कर विष्णु लोक को गया।

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