गुरुपूर्णिमा सद्गुरु के पूजन का पर्व है। गुरु की पूजा उनका आदर सम्मान किसी व्यक्ति की पूजा नहीं वरन् गुरु के अंदर जो विदेही आत्मा है अर्थात् परब्रह्म परमात्मा है उसका आदर और ज्ञान का पूजन है। गुरुपूर्णिमा पर्व वर्षभर की पूर्णिमा का फल तो देता ही है साथ ही नई दिशा, नया संकेत और कृतज्ञता का सद्गुण भी देता है। गुरुपूर्णिमा हमारे गुरुओं और ऋषियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन और ऋषिऋण चुकाने का अवसर देता है। तप, व्रत और साधना में निरत रहकर ईश्वर प्राप्ति की सहज एवं साध्य दिशा बतानेवाला त्यौहार है गुरुपूर्णिमा।
क्यों मनाई जाती है गुरुपूर्णिमा
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। कहा जाता है की इसी दिन महर्षि वशिष्ठ के पौत्र पाराशर ऋषि के पुत्र वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। जो ज्ञान के असीम सागर, भक्ति के आचार्य, विद्वता की पराकाष्ठा और अथाह कवित्व के स्वामी थे। उन्हें बादरायण, द्वैपायन, कृष्द्वैपायन नामों से भी जाना जाता है। उन्होंने वेदों का विस्तार किया इसलिए उनका नाम वेदव्यास पड़ा और इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
गुरुपूर्णिमा का माहात्म्य
गुरु सर्वेश्वर का साक्षात्कार कराकर अपने शिष्यों को जीवन मरण के बंधन से मुक्त कर देते हैं इसलिए संसार में गुरु का स्थान भगवान से भी बढ़कर माना गया है। जैसे ज्ञान के बिना मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता वैसे ही गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नही हो सकती। गुरु इस संसार सागर से पार उतराने वाले हैं। गुरु का ज्ञान वो नौका है जिसके सहारे मनुष्य इस भवसागर को पार कर कृतकृत्य हो जाता है। इसीलिए संत कबीर ने भी सद्गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा है:
भली भई जुगुर मिल्या, नहीं तर होती हाँणि।
दीपक दिष्टि पतंग ज्यूँ, पड़ता पूरी जाँणि।।
अच्छा हुआ कि सद्गुरु मिल गए, वरना बड़ा अहित होता। जैसे पतंगा दीपक को पूर्ण समझ लेता है, सामान्यजन माया को पूर्ण समझकर उस पर अपने आपको न्योछावर कर देते हैं। गुरु के बिना वैसी ही दशा मेरी भी होती।
साल 2022 में कब है गुरुपूर्णिमा
इस वर्ष गुरुपूर्णिमा बुधवार, 13 जुलाई 2022 को है। आशा है की इस दिन आप सभी अपने गुरु और सभी गुरुतुल्य व्यक्तियों के प्रति अपनी कृतज्ञता किसी ना किसी रूप में जरूर ज्ञापित करेंगे।
ॐ श्री गुरुवे नमः