Makar Sankranti 2021 : इस साल 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें इसका माहात्म्य और पुण्यकाल

Published by Ved Shri Published: January 12, 2021

सूर्य हर महीने अपनी राशि परिवर्तित करता है जिसे संक्रांति कहते हैं। जब वह मकर राशि में प्रवेश करता है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति को ही सूर्य उत्तरायण होते हैं और इसी के साथ ही एक माह का खरमास खत्म हो जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, आदि शुरू हो जाते हैं। यह संक्रांति कभी 14 तो कभी 15 जनवरी को होती है। इस वर्ष मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2021) गुरुवार, 14 जनवरी को है। आइये जानते हैं इसके माहात्म्य और पुण्यकाल के बारे में।

मकर संक्रांति का माहात्म्य
हमारे शास्त्रों में मकर संक्रांति को महापर्व का दर्जा दिया गया है। मान्यता है कि मकर संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने से उनकी रात्रि प्रारंभ होती है। इसी दिन गंगाजी भगीरथ के पीछे चलते हुए कपिल मुनि के आश्रम से होकर गंगासागर में जा मिली थीं। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने पर ही महाभारत के भीष्म ने देह त्याग किया था। मकर संक्रांति से सूर्य का स्वरूप तिल-तिल बढ़ता है अतः इसे तिल संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिन पितरों की शांति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए तिल का प्रयोग लाभदायक होता है। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों एवं सरोवरों में स्नान और दान का विशेष महत्व है। यह सूर्य की आराधना का पर्व है। इस दिन सूर्य को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा, आदि अर्पित करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रान्ति पुण्यकाल
सूर्य के बिम्ब का मान 32 कला होने की वजह से सूर्य के 32 कला चलने में जितना समय लगता है वह संक्रांति का पुण्यकाल कहलाता है। सूर्य धनु से मकर राशि में गुरुवार, 14 जनवरी को सुबह 08:15 पर प्रवेश करेंगे और यही संक्रांति का क्षण होगा। अतः संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 08:15 से लेकर सूर्यास्त (शाम को 05 बजकर 45 मिनट) तक रहेगा जिसका कुल मान 09 घण्टे 30 मिनट का होगा। इसमें किया गया जप, पूजा, पाठ, दान, आदि विशेष फलदायी होता है और ग्रहों के अनिष्ट प्रभाव को दूर करता है।

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