भाद्रपद कृष्णपक्ष अष्टमी को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। शिव, विष्णु, ब्रह्म, वह्नि, भविष्यादि पुराणों में इसका वर्णन है। विश्व भर में श्रद्धालु इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाते हैं। मान्यता है कि यह व्रत समस्त पापों का नाश कर सुख में वृद्धि करता है। कई बार इस पर्व को लेकर लोगों में दुविधा होती है कि किस दिन यह पर्व मनाना शास्त्रोक्त है और इसी दुविधा को दूर करने के लिए आज आपको बताते हैं की कब और कैसे मनाएं जन्माष्टमी, क्या है इसकी पूजा विधि और मुहूर्त।
कब मनाएं जन्माष्टमी
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि के समय वृष के चन्द्रमा में हुआ था। इन्हीं योगों के अनुसार अधिकांश श्रद्धालु अपने-अपने अभीष्ट योग ग्रहण करते हैं। शास्त्र के अनुसार इसके शुद्धा और विद्धा दो भेद हैं। इनमें भी समा, न्यूना और अधिका के तीन भेद हैं जिससे अठारह प्रकार के भेद बन जाते हैं, परन्तु सामान्यतः अर्धरात्रि व्यापिनी तिथि अधिक मान्य है। यदि वह तिथि दो दिन हो तो सप्तमी विद्धा को त्यागकर नवमी विद्धा को लेना चाहिए। इसमें अष्टमी को उपवास और पूजन और नवमी को पारण करने से व्रत की पूर्ति होती है।
कैसे मनाएं जन्माष्टमी, क्या है पूजा विधि
व्रती को चाहिए की उपवास के एक दिन पहले हल्का भोजन करे। रात्रि में जितेन्द्रिय रहे और व्रत के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त हो उत्तर मुख बैठकर हाँथ में जल, फल, फूल, गंध और कुश लेकर ‘ममाखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्टसिद्धये श्रीकृष्णजन्माष्टमीव्रतमहं करिष्ये’ से संकल्प ले। दोपहर में काले तिलों से युक्त जल में स्नान करके देवकी जी के लिए सर्व सुविधा युक्त सूतिकागृह बनाये जिसमें अक्षतादि का मंडल बनाकर कलश स्थापित कर उसके ऊपर श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करे। उसके बाद गायन-वादन और कीर्तन का आयोजन भी कर सकते हैं। रात्रि में भगवान के प्राकट्य के समय विधि-विधान से पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन कर अंत में ‘धर्माय धर्मेश्वराय धर्मपतये धर्मसम्भवाय गोविन्दाय नमो नमः’ मंत्र से श्रीकृष्ण को पुष्पांजलि अर्पित करे। रात्रि का शेष भाग स्तोत्र पाठादि करते हुए व्यतीत करे। दूसरे दिन पूर्वान्ह में स्नानादि के बाद नवमी में व्रत का पारण करे।
जन्माष्टमी मुहूर्त
इस वर्ष जन्माष्टमी शुक्रवार, 19 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि का आरम्भ गुरुवार, 18 अगस्त 2022 को रात्रि 09 बजकर 21 मिनट हो रहा है जिसका अंत शुक्रवार, 19 अगस्त 2022 को रात्रि 11 बजे होगा। इस वर्ष अष्टमी दो दिन है, चूँकि नवमी विद्धा अष्टमी शुक्रवार को पड़ रही है और उसी दिन वृष राशि भी रहेगी अतः 19 अगस्त 2022 को ही जन्माष्टमी मनाना शास्त्र सम्मत होगा।