यूँ तो सावन का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है और इस माह के हर दिन और तिथि का अपना विशेष महत्व है। भगवान शंकर के इस पवित्र माह में उनकी पूजा के साथ-साथ गणेश जी, माँ पार्वती और विष्णु भगवान की पूजा का माहात्म्य है। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का अत्यंत महत्व है। इस वर्ष यह शुभ तिथि रविवार, 24 जुलाई 2022 को पड़ रही है। आइये आगे जानते हैं कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi 2022) का माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा।
कामिका एकादशी माहात्म्य
कामिका एकादशी के बारे में मान्यता है कि इसकी कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता है। गंगास्नान, काशीवास एवं नैमिषारण्य और पुष्कर जैसे तीर्थों का फल इस दिन भगवान विष्णु की पूजा मात्र से ही मिल जाता है। पाप मुक्ति के लिए कामिका एकादशी का व्रत अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसकी महत्ता का वर्णन करते हुए स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है कि इस व्रत को करने वाला कभी कुयोनि में जन्म नहीं लेता। कामिका एकादशी के दिन जो कोई भी जातक पूर्ण श्रद्धा से भगवान विष्णु को तुलसीदल चढ़ाता है उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है और ब्रह्म हत्या जैसे पाप तक नष्ट हो जाते हैं।
कामिका एकादशी पूजा विधि
कामिका एकादशी के दिन व्रत के इच्छुक जातक को प्रातः स्नानादि के बाद एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के पश्चात पूरी श्रद्धा और भक्ति से शंख, चक्र एवं गदाधारी भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। पूजा में भगवान को तुलसीदल और उसकी मंजरी अवश्य चढ़ायें। घी का दीपक प्रज्वलित रखें और रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें। अगले दिन द्वादशी को पूजनोपरांत ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – कामिका एकादशी रविवार, 24 जुलाई 2022 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – शनिवार, 23 जुलाई 2022 को सुबह 11 बजकर 28 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – रविवार, 24 जुलाई 2022 को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – सोमवार, 25 जुलाई 2022 को सूर्योदय से दोपहर तक
कामिका एकादशी कथा
कामिका एकादशी व्रत की कथा के अनुसार एक गाँव में एक क्षत्रिय रहता था जिसके द्वारा अनजाने में एक ब्राह्मण की हत्या हो जाती है। इससे उस पर ब्रह्म हत्या का दोष लग जाता है। इस दोष के प्रायश्चित के लिए वह क्षत्रिय विद्वान ब्राह्मणों के कहने पर श्रावण मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करा दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है और व्रत के प्रभाव से वह इस पाप से मुक्ति पाता है।