माघ शुक्ल पक्ष एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है की जो कोई भी जातक जया एकादशी का व्रत करता है उसे भगवान विष्णु की अहैतुकी कृपा प्राप्त होती है और उसके समस्त कष्टों एवं पापों का नाश होता है। यहां तक कि पिशाच योनि से भी मुक्ति मिल जाती है। इस वर्ष यह श्रेष्ठतम व्रत बुधवार, 01 फरवरी 2023 (Jaya Ekadashi 2023) को है। आइये जानते हैं इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा।
जया एकादशी पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के उपरांत एकादशी व्रत का संकल्प कर भगवान विष्णु का पूजन करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का कम से कम एक माला (108) जाप करें। दिनभर उपवास रखें, भगवन्नाम स्मरण करें और यदि संभव हो सके तो रात्रि जागरण करें। मान्यता है कि इससे जातक पापमुक्त हो जाता है और उसे पिशाचत्व से मुक्ति मिलती है।
जया एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – जया एकादशी बुधवार, 01 फरवरी 2023 को है
एकादशी तिथि का प्रारंभ – मंगलवार, 31 जनवरी 2023 को सुबह 11 बजकर 54 मिनट पर
एकादशी तिथि का अंत – बुधवार, 01 फरवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट पर
पारण का समय – गुरुवार, 02 फरवरी 2023 को सूर्योदय से शाम 04 बजकर 26 मिनट तक
जया एकादशी कथा
पद्म पुराण के अनुसार एक बार देवराज इंद्र नंदन वन में अप्सराओं और गंधर्वों के साथ गंधर्व गान कर रहे थे। इसमें गंधर्व पुष्पदंत की कन्या पुष्पवती तथा चित्रसेन के पुत्र पुष्पवान और उसका पुत्र माल्यवान भी उपस्थित होकर गंधर्व गान में साथ दे रहे थे। इस दौरान पुष्पवती माल्यवान पर मोहित हो गई और वह अपने रूप और लावण्य से माल्यवान को वश में करने की चेष्टा करने लगी जिससे दोनों का चित्त चंचल हो गया और वे स्वर और ताल के विपरीत गान करने लगे। उनके इस लज्जाहीन बर्ताव से रुष्ट होकर इंद्र ने दोनों को सभा की मर्यादा भंग करने के कारण पिशाच बनने का श्राप दे दिया। पिशाच योनि में दोनों ने बहुत दुःख पाया। एक बार माघ शुक्ल एकादशी को दोनों दिनभर निराहार रहे और ठंड की वजह से रात मे भी जागते रहे। इस बीच निरंतर भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए उनसे अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते रहे। इस तरह उनसे जया एकादशी का व्रत हो गया जिसके पुण्य प्रभाव से दोनों अपनी पूर्वावस्था को प्राप्त हुए।