कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी आंवला नवमी कहलाती है। इसे अक्षय नवमी, धात्री नवमी तथा कुष्मांडा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वर्णन हेमाद्रि एवं देवी पुराण में मिलता है। इस दिन व्रत, पूजा, तर्पण तथा अन्नादि दान करने से अनंत फल प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु धात्री वृक्ष (आंवले का पेड़) पर निवास करते हैं। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर सपरिवार भोजन करने तथा ब्राह्मणों को भोजन कराने की भी प्रथा है। इस वर्ष आंवला नवमी सोमवार, 23 नवंबर 2020 को पड़ रही है। आइये जानते हैं इसके माहात्म्य और पूजा विधि के बारे में।
आंवला नवमी का माहात्म्य
इस दिन का किया हुआ पूजा पाठ और दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है। यदि इस पावन दिन गौ, भूमि, स्वर्ण, वस्त्र आभूषण आदि का दान किया जाये तो व्यक्ति को राज्य और उच्च पद प्राप्त होता है। यहाँ तक की ब्रह्महत्या जैसे पाप तक इस व्रत के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं। महिलाएं संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए भी इस दिन पूजा करती हैं।
आंवला नवमी पूजा विधि
इस दिन प्रात: स्नानादि करके आंवले के पेड़ के नीचे पूर्वाभिमुख बैठकर “ॐ धात्र्ये नम:” मंत्र से आव्हान कर षोडशोपचार अथवा पंचोपचार पूजन करें। तत्पश्चात नीचे दिए गए मंत्रों को पढ़ते हुए पेड़ की जड़ में दूध की धारा गिराएं:
पिता पितामहाश्चान्ये अपुत्रा ये च गोत्रिण:। ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेऽक्षयं पयः।।
आब्रह्मस्तंबपर्यन्तं देवर्षिपितृमानवाः। ते पिबन्तु मया दत्तं धात्रीमूलेsक्षयं पयः।।
इसके बाद पेड़ के तने में निम्नलिखित मंत्र से कच्चा सूत लपेटें:
दामोदरनिवासायै धात्र्यै नमो नमः। सुत्रेणानेन बध्नामि धात्रि देवि नमोऽस्तु ते।।
तदुपरांत कपूर या घी की बत्ती से आरती करें व आगे दिए मंत्र को पढ़कर वृक्ष की परिक्रमा करें:
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
इस दिन के उपाय
1. इस दिन आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ होता है।
2. इस दिन पितरों के शीत निवारण के लिए ऊनी वस्त्र व कंबल का दान करना चाहिए।
3. जिन बच्चों की स्मरण शक्ति कमजोर हो तथा पढ़ाई में मन न लगता हो, उनकी पुस्तकों में आंवले की हरी पत्तियों को रखना चाहिए।