Holi 2023: जानें क्या है होली का महत्व, किस दिन होगा होलिका दहन, शुभ मुहूर्त एवं होलिका पूजन विधि

Published by Ved Shri Last Updated: March 5, 2023

हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन का महीना अंतिम माह होता है और फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष यह तिथि (Holi 2023) मंगलवार, 07 मार्च 2023 को पड़ रही है। कई स्थानिक पञ्चाङ्गों में इसके मुहूर्त के संबंध में भेद हैं परन्तु दिल्ली में होलिका दहन 7 मार्च को ही शास्त्र सम्मत माना जाएगा। होली के संबंध में कई कथाएं हैं जिनमें सबसे प्रचलित कथा प्रह्लाद और होलिका से संबंधित है। आइये जानते हैं क्या है होली का महत्व, किस दिन होगा होलिका दहन, शुभ मुहूर्त एवं होलिका पूजन विधि।

होली का महत्व
हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना गया है। यह पक्षरंध्र तिथियां होती हैं और इनके आधार पर पाक्षिक भविष्यफल कथन भी किया जाता है। साथ ही ये तिथियां पूजा-पाठ और काम्य अनुष्ठानों के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी गई हैं। भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार से जुड़ने की वजह से तो यह विशेष है ही पर इसका नवान्नेष्टि यज्ञ के रूप में भी बहुत महत्व है। इस समय नई फसल तैयार हो जाती है और लोग होली में गेंहू, जौ चना की बालियों को सेंकते हैं जो नवान्नेष्टि यज्ञ का ही प्रतीक है। कई लोग इस दिन व्रत भी करते हैं जिसे होलिका की ज्वाला के दर्शनोपरांत भोजन करते हैं।

होलिका दहन मुहूर्त एवं भद्राकाल
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 28 मार्च 2023 को सुबह 03 बजकर 27 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का अंत: 07 मार्च 2023 को सुबह सायं 06 बजकर 10 मिनट तक
भद्राकाल: भद्रा 06 मार्च 2023 को सायं 04 बजकर 18 मिनट से 07 मार्च 2023 को सुबह 05 बजकर 16 मिनट तक
होलिका दहन मुहूर्त: 07 मार्च 2023 को शाम 5 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक

होलिका पूजन विधि
होलिका के दहन स्थान को जल से शुद्ध करके उसमें सुखी लकड़ियाँ, उपलें, आदि भलीभाँति स्थापित करें। सायंकाल में हर्षोल्लास के साथ अपने साथियों के साथ गाजे-बाजे सहित होली के समीप जाकर पूर्व या उत्तराभिमुख होकर आसन पर बैठें और “मम सकुटुम्बस्य सर्वापच्छान्तिपूर्वक सकलशुभफल प्राप्त्यर्थं ढूंढाप्रीतिकामनया होलिकापूजनं करिष्ये” मंत्र से संकल्प लें और होली को दीप्तिमान करें। होली प्रज्वलित होने पर गंध, पुष्प, आदि से पूजन कर “असृक्पाभय सन्त्रस्तैः कृता त्वं होली बालिशैः। अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।” मंत्र से तीन बार परिक्रमा करें तथा अर्घ्य दें।

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