Achala Saptami 2021: आरोग्य और संतान प्राप्ति के लिए करें अचला सप्तमी व्रत, जानें माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व कथा

Published by Ved Shri Published: February 17, 2021

माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी को अचला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भानु सप्तमी, रथ सप्तमी, अरोग्य सप्तमी, पुत्र सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। इसमें अरुणोदय व्यापिनी सप्तमी ली जाती है अतः इस साल यह पर्व शुक्रवार, 19 फरवरी 2021 (Achala Saptami 2021) को मनाया जायेगा। मान्यता है की मन्वन्तर के आदि में अचला सप्तमी के ही दिन भगवान सूर्यनारायण ने अपने प्रकाश से इस जगत को आलोकित किया था। इसलिए इसे सूर्य जयंती भी कहा जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना के कई कृत्य किये जाते हैं। आइये जानते हैं इसका माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा।

अचला सप्तमी माहात्म्य
मत्स्य पुराण के अनुसार माघ शुक्ल सप्तमी को रथारूढ़ भगवान सूर्य का पूजन और उपवास करने से अक्षय पुण्य मिलता है और सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। आदित्य पुराण के अनुसार इस दिन पूजन, हवन और व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है। अच्छी शिक्षा और आरोग्य प्राप्ति के लिए भी अचला सप्तमी का व्रत बहुत लाभकारी होता है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य नीच राशि या शत्रुक्षेत्री हों उनको यह व्रत विशेष रूप से करना चाहिए।

अचला सप्तमी पूजा विधि
अचला सप्तमी के दिन सूर्योदय के बाद स्नान कर (जो जातक माघ स्नान करते हों उन्हें अरुणोदय के समय स्नान करना चाहिए) दीपदान करें फिर गंगाजल में गंध, अक्षत, पुष्प और दूर्वा डालकर सूर्य देव को “सप्तसप्तिवह प्रीत सप्तलोकप्रदीपन। सप्तम्या सहितो देव गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।” मंत्र से अर्घ्य दें। तत्पश्चात चंदन से अष्टदल बनायें और उस पर सूर्य प्रतिमा या चित्र स्थापित कर “ममाखिलकामनासिद्ध्यर्थे सूर्यनारायणप्रीतये च सूर्यपूजनं करिष्ये।” मंत्र से संकल्प करके षोडशोपचार पूजन करें। नैवेद्य में खीर मालपुआ अर्पित करें और ब्राह्मणों को खीर खिलाकर दिन ढलने के पहले स्वयं भोजन करें लेकिन ध्यान रखें की तेल और नमक नहीं खाएं।

अचला सप्तमी शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि का आरंभ – गुरुवार, 18 फरवरी 2021 सुबह 08:18 से
सप्तमी तिथि का अंत – शुक्रवार, 19 फरवरी 2021 सुबह 10:59 तक
सप्तमी के दिन अरुणोदय का समय – शुक्रवार, 19 फरवरी 2021 सुबह 6:32
सप्तमी के दिन सूर्योदय का समय – शुक्रवार, 19 फरवरी 2021 सुबह 6:56

अचला सप्तमी कथा
पुराणों में अचला सप्तमी की कई कथाएं हैं, पर प्रचलित कथा के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब को अपने सौंदर्य पर अत्यधिक अभिमान था और इसी के वशीभूत होकर उन्होंने ऋषि दुर्वासा का अपमान कर दिया। जल्द क्रोधित होने के लिए विख्यात ऋषि दुर्वासा ने साम्ब को उनकी शरीर पर आसक्ति और उद्दंडता के कारण कुष्ठ हो जाने का श्राप दे दिया। जब यह बात भगवान कृष्ण को पता चली तब उन्होंने साम्ब को भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए सूर्य उपासना का विधान बताया। भगवान कृष्ण की आज्ञा पाकर साम्ब ने सूर्य देव की आराधना की जिसके परिणाम स्वरूप सूर्यदेव की कृपा से उन्हे कुष्ठ रोग से शीघ्र ही मुक्ति मिल गई।

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