मंत्र शब्दों का एक शक्तिशाली समूह हैं जो साउंड एनर्जी (ध्वनि तरंगों) के आधार पर काम करते हैं। इनका हमारे मंत्र दृष्टा ऋषि-मुनियों ने बहुत साधना के बाद आविष्कार किया। मंत्र की परिभाषा है “मननात जायते इति मंत्र” अर्थात जिसके मनन से या जपने से मनुष्य जन्म और मृत्यु के चक्कर से छुटकारा पा जाए वही मंत्र है। मंत्रों का सही ज्ञान और उनके उच्चारण का समुचित तरीका जानना बहुत आवश्यक है। मंत्र के सही उच्चारण से साधक को उसका पूरा लाभ प्राप्त होता है। आइये आज जानते हैं कुछ सर्वोपयोगी एवं सिद्ध मंत्रों के बारे में।
नवग्रह मंत्र
सूर्य मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं हौं सः सूर्याय नमः
चंद्र मंत्र – ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः
भौम मंत्र – ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
बुध मंत्र – ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
गुरु मंत्र – ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
शुक्र मंत्र – ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शनि मंत्र – ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
राहु मंत्र – ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः
केतु मंत्र – ॐ स्रां स्रीं स्रों सः केतवे नमः
नवग्रह प्रार्थना मंत्र
ॐ ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु।
गणेश बीज मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।
शिव महामंत्र
ॐ नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
हनुमत मंत्र
ॐ हं हनुमतये नमः
श्री महालक्ष्मी बीज मंत्र
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
श्री महालक्ष्मी महामंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।
श्री महालक्ष्मी गायत्री मंत्र
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।
सर्वविध कष्ट निवारण हेतु देवी मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे।
सुलक्षणा और सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति के लिए मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।
भय निवारण हेतु मंत्र
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।।
सुरक्षा प्राप्ति के लिए मंत्र
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।।
स्वास्थ्य और सौभाग्य हेतु मंत्र
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।।
बाधाओं से मुक्ति एवं धन-पुत्रादि के लिए मंत्र
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय।।