Chaitra Navratri 2023: जानें नवरात्र में माँ दुर्गा के पूजन की सरल विधि

Published by Ved Shri Last Updated: March 19, 2023

नवरात्र माँ दुर्गा की आराधना का एक बहुत ही उत्तम अवसर होता है। वैसे तो पूजा श्रद्धा, आस्था व अपनी लोक रीति के अनुसार की जाती है परन्तु जनमानस के कल्याणार्थ नवरात्र के पावन अवसर पर यहाँ माँ दुर्गा के पूजन की अत्यंत सरल विधि दी जा रही है।

स्नानांतर साफ वस्त्र धारण कर आसन पर बैठ शिखा बांधने के पश्चात निम्न मंत्रों से आचमन करें:
ॐ केशवाय नमः। ॐ नारायणाय नमः। ॐ माधवाय नमः।
आचमन के उपरांत “ॐ ह्रृषिकेशाय नमः, ॐ गोविन्दाय नमः” कहकर हाँथ धो कर होंठों को पोंछ लें।

तत्पश्चात अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्ध करें:
ॐ अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचि।।

अब निम्नलिखित मंत्र पढ़ते हुए अनामिका उंगली से अपने माथे पर तिलक लगाएं:
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्।
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।।

तदुपरांत नीचे दिए मंत्र को पढ़ते हुए संकल्प लें:
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्यप्रदेशे (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे प्रमादी नाम संवत्सरे दक्षिण अयने शरद् ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानाम मासोत्तमे आश्विन मासे शुक्ल पक्षे प्रतिपदा तिथौ अमुक वासरे अमुक गोत्रे (अपने गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामे (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनोप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री दुर्गा पूजनं कर्म करिष्ये।

कलश एवं गणेश पूजनोपरांत माँ दुर्गा का ध्यान करें:
सिंहस्था शशिशेखरा मरकतप्रख्यैश्चतुर्भिर्भुजैः
शङ्खं चक्रधनुःशरांश्च दधती नेत्रैस्त्रिभिः शोभिता।
आमुक्ताङ्गदहारकङ्कणरणत्काञ्चीरणन्नूपुरा
दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्लसत्कुण्डला।।
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ॐ श्री दुर्गायै नमः।

तत्पश्चात नीचे दिए मंत्र से देवी का आह्वान करें:
आगच्छ त्वं महादेवि! स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत् पूजां करिष्यामि तावत् त्वं सन्निधौ भव।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दुर्गादेवीमावाहयामि। पुष्पाञ्जलिं समर्पयामी।

फिर आसन दें:
अनेकरत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्।
इदं हेममयं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम् ।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि।।

पाद्य दें (जल चढाएं):
गङ्गादिसर्वतीर्थेभ्य आनीतं तोयमुत्तमम्।
पाद्यार्थं ते प्रदास्यामि गृहाण परमेश्वरि।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। पादयो: पाद्यं समर्पयामि।।

तत्पश्चात अर्घ्य दें:
गन्ध पुष्पाक्षतैर्युक्तमर्घ्यं सम्पादितं मया।
गृहाण त्वं महादेवि प्रसन्ना भव सर्वदा।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। हस्तयोः अर्घ्यं समर्पयामि।।

फिर आचमन करें:
कर्पूरेण सुगन्धेन वासितं स्वादु शीतलम्।
तोयमाचमनीयार्थं गृहाण परमेश्वरि।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। आचमनं समर्पयामि।।

निम्न मंत्र से स्नान कराएं:
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम्।
तदिदं कल्पितं देवि! स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। स्नानार्थं जलं समर्पयामि।।
स्नानाङ्ग-आचमन: स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पयामि।

पंचामृत स्नान कराएं:
पयो दधि घृतं चैव मधु च शर्करान्वितम।
पञ्चामृतं मयाऽऽनीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। पंचामृतस्नानं समर्पयामि।।

पंचामृत स्नानोपरांत शुद्धोदक स्नान कराएं:
शुद्धं यत् सलिलं दिव्यं गङ्गाडलसमं स्मृतम्।
समर्पितं मया भक्त्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि।।
आचमन: शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

वस्त्र अर्पण करें:
पट्टयुग्मं मया दत्तं कञ्चुकेन समन्वितम्।
परिधेहि कृपां कृत्वा मातर्दुर्गार्तिनाशिनी।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। वस्त्रं समर्पयामि।।
आचमन: वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पयामि।

सौभाग्यसू़त्र अर्पित करें:
सौभाग्यसू़त्रं वरदे सुवर्णमणिसंयुतम्।
कण्ठे बध्नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। सौभाग्य सूत्रं समर्पयामि।।

चन्दन लगाएं:
श्रीखण्डं चंदनं दिव्यं गन्धाढयं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठे चंदनं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। चन्दनं समर्पयामि।।

हरिद्राचूर्ण चढ़ायें:
हरिद्रारञ्जिते देवि! सुखसौभाग्यदायिनि।
तस्मात त्वां पूजयाम्यत्र सुखं शान्तिं प्रयच्छ मे।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। हरिद्रां समर्पयामि।।

कुङ्कुम लगाएं:
कुङ्कुमं कामदं दिव्यं कामिनीकामसम्भवम्।
कुङ्कुमेनार्चिता देवी कुङ्कुमं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। कुङ्कुमं समर्पयामि।।

सिन्दूर अर्पण करें:
सिन्दूरमरुणाभासं जपाकुसुमसन्निभम्।
अर्पितं ते मया भक्त्या प्रसीद परमेश्वरि।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। सिन्दूरं समर्पयामि।।

कज्जल (काजल) लगाएं:
चक्षुर्भ्यां कज्जलं रम्यं सुभगे शान्तिकारकम्।
कर्पूरज्योतिसमुत्पन्नं गृहाण परमेश्वरि।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। कज्जलं समर्पयामि।।

आभूषण चढ़ाएं:
हारकङ्कणकेयूरमेखलाकुण्डलादिभिः।
रत्नाढयं हीरकोपेतं भूषणं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। आभूषणानि समर्पयामि।।

पुष्पमाल्यार्पण करें:
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि भक्तितः।
मयाऽऽह्रृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। पुष्पमालां समर्पयामि।।

धूप लगाएं:
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढयो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। धूपमाघ्रापयामि।।

दीप जलाएं:
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेशि त्रैलोक्यतिमिरापहम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दीपं दर्शयामि।।

नैवेद्य अर्पित करें:
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च।
आहारार्थं भक्ष्यभोज्यं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। नैवेद्यं निवेदयामि।।
आचमन: नैवेद्यान्ते ध्यानमाचमनीयं जलमुत्तरापोऽशनं हस्तप्रक्षालनार्थं मुखप्रक्षालनार्थं च जलं समर्पयामि।

ॠतुफल चढ़ाएं:
इदं फलं मया देवि स्थापितं पुरतस्तव।
तिन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। ॠतुफलानि समर्पयामि।।

ताम्बूल (पान) चढ़ाएं:
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
एलालवङ्गसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। ताम्बूलं समर्पयामि।।

दक्षिणा अर्पण करें:
दक्षिणा हेमसहितां यथाशक्तिसमर्पिताम्।
अनन्तफलदामेनां गृहाण परमेश्वरि।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। दक्षिणां समर्पयामि।।

आरती करें:
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम्।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मां वरदा भव।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।।

प्रदक्षिणा करें:
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। प्रदक्षिणां समर्पयामि।।

मन्त्रपुष्पाञ्जलि समर्पित करें:
श्रद्धया सिक्तया भक्त्या हार्दप्रेम्णा समर्पितः।
मन्त्रपुष्पाञ्जलिश्चायं कृपया प्रतिगृह्यताम्।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। मन्त्रपुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।।

अब नीचे दिए मंत्र से देवी को नमस्कार कर चरणोदक सिर पर लगाएं:
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। नमस्कारान् समर्पयामि।।

क्षमा याचना करें:
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।
श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नमः। क्षमायाचनां समर्पयामि।।

ॐ श्री दुर्गार्पणमस्तु !

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