जानिए नवग्रह पीड़ा शांति के मन्त्र

Published by vedAdmin Last Updated: November 15, 2020

ज्योतिष विज्ञान का आधार सौरमंडल और उसमें शामिल नवग्रह हैं. जैसे चंद्र के प्रभाव से समुद्र में ज्वार और भाटा आता है वैसे ही सौरमंडल में स्थित सभी ग्रहों का प्रभाव मानव जीवन के साथ सम्पूर्ण सृष्टि पर पड़ता है. लग्न कुंडली में अपनी स्थित के अनुसार सभी ग्रह सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. नकारात्मक प्रभाव वाले ग्रहों की शांति के अनेक उपाय किये जाते हैं जिनमें नवग्रह शांति मन्त्र एक महत्वपूर्ण उपाय है. आइये जानते हैं नवग्रह पीड़ा शांति के मन्त्रों के बारे में.

सूर्य मन्त्र
सूर्य जातक को समाज में मान-सम्मान और यश दिलाता है. सूर्य दोष से बीमारी और नौकरी में अड़चन पैदा होती है. इसके निवारण के लिए “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

चंद्र मन्त्र
चंद्र दोष की स्थिति में पेट के रोग, मानसिक व्याधियां, शत्रु प्रकोप और व्यापार में धन की हानि होती है. इसके निवारण के लिए “ॐ सों सोमाय नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

मंगल मन्त्र
मंगल दोष की स्थिति में वैवाहिक और संतान सुख पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसके निवारण के लिए “ॐ अं अंगारकाय नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

बुध मन्त्र
बुध दोष की स्थिति में व्यापार और नौकरी में हानि तथा मित्रता में खटास आती है. इसके निवारण के लिए “ॐ बुं बुधाय नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

गुरु मन्त्र
गुरु दोष शारीरिक, मानसिक, आर्थिक सभी प्रकार के कष्ट देता है. इसके निवारण के लिए “ॐ वृं बृहस्पते नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

शुक्र मन्त्र
शुक्र प्रेम और ऐश्वर्य का कारक है. शुक्र दोष की स्थिति रोग और वैवाहिक कष्ट मिलता है. इसके निवारण के लिए “ॐ शुं शुक्राय नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

शनि मन्त्र
शनि दोष से तमाम परेशानियों आती हैं और यह सम्पूर्ण जीवन को तहस नहस कर सकता है. इसके निवारण के लिए “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

राहु मन्त्र
राहु दोष की स्थिति में तमाम मुश्किलें आती हैं और जीवन कष्टमय हो जाता है. इसके निवारण के लिए “ॐ रां राहुवे नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

केतु मन्त्र
केतु दोष की स्थिति में भी जातक को तमाम मुसीबते झेलनी पड़ती हैं. इसके निवारण के लिए “ॐ कें केतवे नमः” मन्त्र का जाप करना चाहिए.

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