खराब चल रही ग्रह दशा को सुधारने के लिए कई बार रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. परन्तु मनोवांछित फल पाने के लिए इन रत्नों का धारण ज्योतिष अनुसार उचित विधि से ही करना चाहिए. रत्न को धारण करने से पहले उसे किसी पुरोहित से अभिमंत्रित करा लेना चाहिए. ऐसा ना हो पाने की स्थिति में उस रत्न को धारण करने से एक दिन पहले अपने पूजाघर में दूध या गंगाजल में रखें तदुपरांत रंगीन कपड़े में रत्न को रखकर संबंधित ग्रह से अपनी समस्या के निवारण हेतु निवेदन करें और उस ग्रह के मन्त्र को पढ़कर अपने दाएं हांथ की अंगुली में धारण करें. आइये जानते हैं रत्नों को धारण करने का ज्योतिष के अनुसार क्या है सही नियम.
माणिक
सूर्य की दशा सुधारने के लिए माणिक के धारण का विधान है. इसे रविवार को सूर्योदय के समय अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए.
मोती
चंद्र की दशा सुधारने के लिए मोती के धारण का विधान है. इसे सोमवार को शाम 5 से 7 बजे के बीच कनिष्ठा अंगुली में धारण करना चाहिए.
मूंगा
मंगल की दशा सुधारने के लिए मूंगा के धारण का विधान है. इसे मंगलवार को शाम 5 से 7 बजे के बीच अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए.
पन्ना
बुध की दशा सुधारने के लिए पन्ना के धारण का विधान है. इसे बुधवार को दोपहर 12 से 2 बजे के बीच अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए.
पुखराज
गुरु की दशा सुधारने के लिए पुखराज के धारण का विधान है. इसे गुरुवार को सुबह 10 से 12 बजे के बीच तर्जनी अंगुली में धारण करना चाहिए.
हीरा
शुक्र की दशा सुधारने के लिए हीरा के धारण का विधान है. इसे शुक्रवार को सुबह 10 से 12 बजे के बीच मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए.
नीलम
शनि की दशा सुधारने के लिए नीलम के धारण का विधान है. इसे शनिवार को शाम 5 से 7 बजे के बीच मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए.
गोमेद
राहु और केतु की दशा सुधारने के लिए गोमेद के धारण का विधान है. इसे शनिवार को सूर्यास्त के पश्चात मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए.
नोट:- यहाँ पर बताये हुए रत्न खुद से धारण ना करें क्योंकि रत्नों का धारण अपनी-अपनी कुंडली पर निर्भर करता है। अतः किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह के बाद ही रत्न धारण करना चाहिए, अन्यथा उसका असर उल्टा भी हो सकता है।