आइये आज जानते हैं एक परम शक्तिशाली और शत्रुओं का नाश करने वाले अमोघ स्तोत्र के बारे में। यह मंगलों का भी मंगल करने वाला तथा परम कल्याणकारी स्तोत्र है। इसका पाठ विजयश्री दिलाता है। यह समस्त पापों का नाश कर चिंता और शोक का निवारण करता है। इसके पाठ से हर क्षेत्र में अद्वितीय सफलता मिलती है और सम्पूर्ण मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस परम प्रतापी स्तोत्र का नाम है “आदित्य हृदय स्तोत्र” (Aditya Hriday Stotra) जिसका ज्ञान अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान राम को रावण पर विजय प्राप्ति के लिए दिया गया था।
आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ का माहात्म्य
आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य को समर्पित है। इसका शाब्दिक अर्थ है आदित्य अर्थात सूर्य का ह्रदय अर्थात केंद्र। इस महा शक्तिशाली और मंगलकारी स्तोत्र का पाठ जीवन के सभी कष्टों का हरण कर सभी क्षेत्र में अप्रत्याशित लाभ दिलाता है। इसके पाठ से नौकरी में पदोन्नति, धन लाभ, प्रसन्नता, आयु, उर्जा, मान-सम्मान, आत्मविश्वास के साथ-साथ समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। जो जातक इसका नियमित रूप से पाठ करते हैं उन्हे मानसिक कष्ट, हृदय रोग, तनाव, शत्रु कष्ट और असफलताओं से मुक्ति मिलती है।
कब और कैसे शुरू करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ का आरम्भ करना शुभ होता है, जिसे हर रविवार को नियमित रूप से जारी रखना चाहिए। यदि जातक नित्य प्रतिदिन इसका पाठ कर सके तो बहुत ही उत्तम होगा तथा शीघ्र फलदायी होगा। इस स्तोत्र का पाठ करने वाले जातक को रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। तदुपरांत भगवान भास्कर की विधि विधान से पूजा अर्चना कर सर्व कल्याणकारी आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। रविवार को सूर्य पूजा के लिए लाल चन्दन, लाल फूल और आटे के हलवे का भोग लगाना उत्तम होगा।
आदित्य हृदय स्तोत्र लिंक
यूँ तो बहुत सारे ऑडियो और वीडियो लिंक्स मौजूद हैं पर आपकी सुविधा के लिए प्रख्यात गायिका शुभा मुद्गल की प्रभावी आवाज और संस्कृत श्लोक के साथ बहुत ही सुन्दर आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ की लिंक नीचे दी गयी है: