हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में गणेश भगवान का विशेष स्थान है। गणेश जी को प्रथम पूज्य देव माना गया है और इसीलिए बिना इनकी पूजा के कोई भी पूजा या कार्य नहीं किया जाता। माना जाता है की गणेश पूजन से सभी विघ्न दूर होते हैं और कार्य में इच्छित सफलता मिलती है। पर क्या आप जानते हैं की इनकी पूजा में कौन से पुष्प और पत्र विहित हैं और कौन से निषिद्ध। यदि नहीं तो आइये आज जानते हैं गणेश पूजा में किन फूलों के इस्तेमाल से वे प्रसन्न होते हैं और किन फूलों को भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
गणेश पूजा में विहित पत्र-पुष्प
मान्यता है की गणेश भगवान को लाल रंग बहुत प्रिय है। अतः आप लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, लाल गुलाब, इत्यादि उन्हें चढ़ा सकते हैं। गुड़हल का लाल फूल तो उन्हें विशेष प्रिय है। गेंदे का फूल भी उनकी पूजा में चढ़ाया जाता है। चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला चढ़ाने से भी गणेश जी बहुत प्रसन्न होते हैं। गणेश जी की पूजा में संभव हो तो पान का पत्ता जरूर चढ़ाएं, इससे वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है अतः इन्हें सफेद या हरी दूर्वा अवश्य चढ़ानी चाहिए। गणेशपुराण के अनुसार दूर्वा की फुनगी में तीन या पांच पत्ती होना चाहिए:
हरिताः श्वेतवर्णा वा पंचत्रिपत्रसंयुताः। दूर्वांकुरा मया दत्ता एकविंशतिसम्मिताः।।
गणेश पूजा में निषिद्ध पत्र-पुष्प
गणेश जी को तुलसी छोड़कर सभी पत्र-पुष्प प्रिय हैं “तुलसीं वर्जीयित्वा सर्वाण्यपि पत्रपुष्पाणि गणपतिप्रियाणि” अतः इन्हें भूलकर भी कभी तुलसी नहीं चढ़ाएं। पद्मपुराण, आचाररत्न में भी लिखा है “न तुलस्या गणाधिपम्” अर्थात गणेश भगवान की तुलसी से पूजा कभी न की जाए। कार्तिक माहात्म्य में भी कहा गया है कि “गणेशं तुलसीपत्रैर्दुर्गां नैव तु दूर्वया” अर्थात तुलसीपत्र से गणेशजी की और दूर्वा से दुर्गाजी की पूजा कभी ना करें।