Vastu
क्या आपने ऐसा अनुभव किया है कि कभी-कभी यात्रा सुखमय होती है तो कभी अकारण ही बहुत कष्टमय हो जाती है? ऐसा कई बार दिशा शूल का विचार ना करके यात्रा करने से भी होता है. आज आप दिशा शूल और इसके निवारण के उपायों के बारे में जानेंगे जिससे आप तमाम यात्रा कष्टों से बच सकते हैं.
दिशा शूल विचार ज्योतिष का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है. इसमें बताया गया है कि कौन से दिन किस दिशा मे यात्रा करना उत्तम फलदायी है और किस दिशा में निषिद्ध है. इसके अलावा अचानक यात्रा की जरुरत पड़ने पर इसका कैसे परिहार करें अर्थात इसके निवारण के क्या उपाय हैं.
पूर्व
पूर्व दिशा की ओर सोमवार, शनिवार और ज्येष्ठा नक्षत्र में यात्रा करना वर्जित है. यदि इन दिनों में यात्रा करना आवश्यक हो तो गोधूलि बेला में यात्रा शुरू कर सकते हैं.
पश्चिम
पश्चिम दिशा की ओर रविवार, शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र में यात्रा करना वर्जित है. यदि इन दिनों में यात्रा करना आवश्यक हो तो प्रातः काल यात्रा शुरू कर सकते हैं.
उत्तर
उत्तर दिशा की ओर मंगलवार और बुधवार को यात्रा करना वर्जित है. यदि इन दिनों में यात्रा करना आवश्यक हो तो दोपहर में यात्रा शुरू कर सकते हैं.
दक्षिण
दक्षिण दिशा की ओर गुरुवार और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में यात्रा करना वर्जित है. यदि इस दिन यात्रा करना आवश्यक हो तो रात्रि में यात्रा शुरू कर सकते हैं.
दिशा शूल का परिहार कैसे करें
उसी दिन लौट आने, आपत्ति काल में, विवाह में और नित्य यात्रा करने वालों पर दिशा शूल लागू नहीं होता. दिशा शूल का परिहार 3 से 5 दिन पहले प्रस्थान रखकर किया जा सकता है साथ ही विभिन्न दिनों में नीचे दी गई वस्तुओं का सेवन करके यात्रा प्रारम्भ करने से भी दिशा शूल का परिहार हो जाता है:
रविवार – घी, सोमवार – दूध, मंगलवार – गुड़, बुधवार – तिल, गुरुवार – दही, शुक्रवार – जौ, शनिवार – उड़द