Padma Ekadashi 2022: जानें कब है पद्मा एकादशी, क्या है इसका माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा

Published by Ved Shri Published: September 5, 2022

भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी को पद्मा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस शुभ तिथि को परिवर्तिनी या जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा का अत्यंत महत्व है। इस वर्ष यह शुभ तिथि मंगलवार, 06 सितम्बर 2022 को पड़ रही है। आइये आगे जानते हैं पद्मा एकादशी (Padma Ekadashi 2022) का माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा।

पद्मा एकादशी माहात्म्य
ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार पद्मा एकादशी का व्रत करने से सब प्रकार के अभीष्ट सिद्ध होते हैं। इस व्रत के प्रभाव से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु को जलपानादि साधनो से दोलायमान करके उनको रात्रि में दक्षिण-कटि शयन कराया जाता है इसीलिए इसे जलझूलनी या परिवर्तिनी एकादशी कहा गया है।

पद्मा एकादशी पूजा विधि
पद्मा एकादशी के दिन व्रती को प्रातः स्‍नानादि के बाद पद्मा एकादशी व्रत का संकल्‍प करना चाहिए। संकल्प के अनन्तर भगवान विष्णु के वामन रूप की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। व्रती को चाहिए कि भगवान वामन की मूर्ति या चित्र स्थापित कर मत्स्य, कूर्म, वाराह आदि के नामोच्चार सहित षोडशोपचार पूजन करे। दिनभर उपवास रखे और रात्रि में जागरण करके दूसरे दिन फिर उसका पूजन करके यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर स्वयं भोजन कर व्रत समाप्त करे।

पद्मा एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – पद्मा एकादशी मंगलवार, 06 सितम्बर 2022 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – मंगलवार, 06 सितम्बर 2022 को सुबह 05 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – बुधवार, 07 सितम्बर 2022 को सुबह 03 बजकर 05 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – बुधवार, 07 सितम्बर 2022 को सूर्योदय से दोपहर तक

पद्मा एकादशी कथा
पद्मा एकादशी व्रत की कथा के अनुसार प्राचीन काल में सूर्यवंश के चक्रवर्ती राजा मान्धाता राज्य करते थे। एक बार उनके राज्य में तीन वर्ष तक वर्षा नहीं होने से चारों ओर हाहाकार मच गया। तब राजा मान्धाता ने इस अनावृष्टि को मिटाने के लिए अंगिरा ऋषि के आदेश से पद्मा एकादशी व्रत का अनुष्ठान किया जिसके प्रभाव से उनके राज्य में सर्वत्र सदैव अनुकूल वर्षा होती रही।

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