Shravan Somvar Vrat: अखण्ड सुख और सौभाग्य के लिए करें श्रावण सोमवार व्रत, जानें माहात्म्य, व्रत विधि और कथा

Published by Ved Shri Last Updated: August 5, 2023

श्रावण मास आशुतोष भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है और इस मास में शिवजी की पूजा का विशेष महत्व है। श्रावण मास में प्रतिदिन शिवोपासना का विधान है और यदि प्रतिदिन नहीं तो कम से कम प्रत्येक सोमवार को शिवाराधना जरूर करनी चाहिए।

श्रावण सोमवार व्रत माहात्म्य
स्कंदपुराण के अनुसार श्रावण में सोमवार व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला व्रत है। इसे करने से जातक को अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है। उसे अखण्ड सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शिवरहस्य के अनुसार जो भी जातक श्रावण मास के सोमवारों में भगवान शंकर की पूजा अर्चना करता है और निराहार या नक्तव्रत (रात्रि में एक बार भोजन) रहे तो उस पर शिवजी प्रसन्न होकर शिवसायुज्य प्रदान करते हैं।

श्रावण सोमवार व्रत विधि
व्रती को चाहिए की सोमवार के दिन प्रातः स्नान करके ‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये।’ मंत्र से व्रत का संकल्प ले। तत्पश्चात नीचे दिए मंत्र से भगवान शिव का ध्यान करे:
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं रत्नाकल्पोज्जवलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्यासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
फिर ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का और ‘ॐ नमः शिवायै’ से पार्वती जी का षोडशोपचार पूजन करे और दिनभर निराहार रहे या एकभुक्त भोजन करे। पूजा में लघुरुद्र, महारुद्र या अतिरुद्र का पाठ और रुद्राभिषेक भी किसी विद्वान ब्राह्मण से कराना श्रेयस्कर रहता है।

जानिए भगवान शिव की शास्त्र सम्मत सरल पूजा विधि

श्रावण सोमवार व्रत कथा
प्राचीन काल में राजा विचित्रवर्मा की पुत्री सीमन्तिनी का विवाह नलपुत्र चित्रांगद से हुआ था। नाव के उलट जानें से चित्रांगद जल में डूबकर नागलोक में चला गया था। वह इसी व्रत के प्रभाव से वापस आकर विचित्रवर्मा का उत्तराधिकारी हुआ और बहुत वर्षों तक सुखपूर्वक राज्य करके स्वर्ग में गया।

    Tags: