Pavitra Ekadashi 2022: पापनाश और पुत्र प्राप्ति के लिए करें पवित्रा एकादशी व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा

Published by Ved Shri Last Updated: August 3, 2022

श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी को पवित्रा एकादशी कहा जाता है। माना जाता है की इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और वह पवित्र हो जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने अभीष्ट की कामना से भगवान श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। इस वर्ष यह शुभ तिथि (Pavitra Ekadashi 2022) सोमवार, 08 अगस्त 2022 को पड़ रही है। आइये आगे जानते हैं क्या है पवित्रा एकादशी का माहात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा।

पवित्रा एकादशी माहात्म्य
श्रावण शुक्लैकादशी जिसे पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है बहुत प्रतापी है। भविष्यपुराण के अनुसार यह पुत्र देने वाली और पापनाशिनी होती है। जो कोई भी व्यक्ति पापनाश और पुत्र प्राप्ति के लिए विधिपूर्वक पवित्रा एकादशी का व्रत करता है उसके अभीष्ट की पूर्ती होती है।

पवित्रा एकादशी पूजा विधि
पवित्रा एकादशी का व्रत करने वाले जातक को एकादशी के एक दिन पहले अर्थात दशमी को मध्यान्ह में एकभुक्त भोजन करना चाहिए। फिर एकादशी के दिन प्रातः स्‍नानादि के बाद “मम समस्तदुरितक्षयपूर्वकं श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं श्रावणशुक्लैकादशीव्रतमहं करिष्ये” मंत्र से व्रत का संकल्‍प करके भक्तिभाव से विधानपूर्वक भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन कर विष्णु सहस्रनाम का पाठ और पवित्रा एकादशी की कथा का श्रवण करना चाहिए। रात्रि के समय गायन, वादन, नर्तन और कीर्तन करते हुए भगवान के लीला चरित्रों श्रवण करते हुए जागरण कर अगले दिन द्वादशी को स्नानोपरांत पूजन करके व्रत का पारण करना चाहिए।

पवित्रा एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत का दिन – पवित्रा एकादशी सोमवार, 08 अगस्त 2022 को है
एकादशी तिथि का आरंभ – रविवार, 07 अगस्त 2022 को रात्रि 11 बजकर 51 मिनट से
एकादशी तिथि का अंत – सोमवार, 08 अगस्त 2022 को रात्रि 09 बजकर 01 मिनट पर
एकादशी पारण का समय – मंगलवार, 09 अगस्त 2022 को सूर्योदय से लेकर दोपहर तक

पवित्रा एकादशी कथा
पवित्रा एकादशी की कथा के अनुसार द्वापर युग के आदि में माहिष्मती के राजा महीजित् को कोई पुत्र नही था। इस वजह से राजा और उनकी प्रजा दोनों चिंतित रहते थे। पुत्र की आकांक्षा में जब राजा ने लोमश ऋषि से प्रार्थना की तब ऋषि ने श्रावण शुक्लैकादशी व्रत करने को कहा। ऋषि की आज्ञा से राजा ने नगरवासियों के साथ श्रावण शुक्ल एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया और उसके प्रभाव से उनको बहुत ही तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ।

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