मंगलवार, 27 अप्रैल 2021 को सुबह 09 बजकर 01 मिनट से भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय वैशाख मास का आरंभ हो गया है जो 26 मई 2021 तक रहेगा। शास्त्रों में वैशाख मास को सर्वश्रेष्ठ मास कहा गया है। मान्यता है की वैशाख मास सभी को अभीष्ट पदार्थों की पूर्ति करने वाला है और जो जातक इस मास में नियम संयम का पालन करते हैं उनके सात जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। आइये जानते हैं वैशाख मास का माहात्म्य और इस मास के विहित एवं निषिद्ध कृत्य।
वैशाख मास का माहात्म्य
स्कंदपुराण में वैशाख मास के माहात्म्य के बारे में कहा गया है की जैसे सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं ऐसे ही वैशाख के समान कोई मास नहीं।
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गङ्गया समम्।।
नारद जी ने राजा अम्बरीष से इसके माहात्म्य के बारे में बताते हुए कहा है की धर्म साधनभूत महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है। जो जातक इस महीने सूर्योदय से पूर्व स्नान करते हैं उनका भगवान विष्णु सदैव कल्याण करते हैं। सब तीर्थों और दानों का जो पुण्य फल होता है वह इस मास में केवल जलदान से प्राप्त किया जा सकता है।
वैशाख मास के विहित कृत्य
उत्तम मास वैशाख के देवता मधुसूदन हैं। इस मास में अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। जलदान करना चाहिए, प्याऊ आदि लगवाना चाहिए तथा छाते और पंखे का दान करना चाहिए। इस मास में पादुका (जूते और चप्पल) दान और भूखे को भोजन कराने का अनंत फल मिलता है। पथिकों और अनाथों के लिए विश्रामशाला का निर्माण कराना अत्यंत श्रेष्ठ और फलदायी माना गया है।
वैशाख मास के निषिद्ध कृत्य
स्कंदपुराण के अनुसार वैशाख मास में कुछ कृत्य ऐसे हैं जिनका निषेध किया गया है। इनमें मुख्य रूप से तेल लगाना, दिन में सोना, कांसे के पात्र में भोजन करना, अखाद्य एवं निषिद्ध वस्तुओं का सेवन करना और रात में भोजन करना शामिल है:
तैलाभ्यङ्गं दिवास्वापं तथा वै कांस्यभोजनम्।
खट्वानिद्रां गृहे स्नानं निषिद्धस्य च भक्षणम्।।
वैशाखे वर्जयेदष्टौ द्विभुक्तं नक्तभोजनम्।।